🙏🌹Happy Holi🙏🌹
"विभिन्न रंग में रंगे विभिन्न धर्म"
प्रकृति को जब भी गौर से देखता हूं तो सुबह के उगते हुए सूरज में भगवा या लाल रंग का दर्शन होता है और हमारे भीतर भी कुछ उगने लगता है। वृक्षों की हरियाली में हरा रंग का दर्शन होता है और भीतर तक सब कुछ हरा-भरा हो जाता है। आकाश की तरफ आंखें उठाते ही नीला रंग का दर्शन होता है और हृदय आकाश के समान विराट हो जाता है।पूर्णिमा की रात में चमकदार सफेद रंग के चांद को देखते ही हृदय शीतलता से भर जाता है। सरसों के खेत में पीले फूलों को देखकर प्रेम के विरह में पीली पड़ी विरहिनी नायिका की याद आ जाती है।
इस रंग बिरंगी प्रकृति के विभिन्न रंगों को विभिन्न धर्मों ने अपना प्रतीक बनाया ताकि उस परमतत्त्व को अपने रंग में रंग कर जीवन को रंगीन बना सके। हिंदू धर्म ने भगवा या लाल रंग चुना जो अग्नि का और सूरज का प्रतीक है,ताकि जीवन अग्नि की तरह ऊंचाई की ओर उठता रहे और प्रकाश से भर जाए। इस्लाम ने हरा रंग चुना जो जीवन की हरियाली का प्रतीक है।वृक्ष जब तक जिंदा रहता है,हरा रहता है और उस हरे वृक्ष पर फिर बाद में लाल फूल खिल जाते हैं। सिख धर्म ने नीला रंग चुना जो आकाश की अनंतता का प्रतीक है, ताकि याद बनी रहे कि हरि अनंत, हरि कथा अनंता। जैन धर्म ने सफेद रंग को चुना ताकि चित शुभ्र बना रहे और बौद्ध धर्म ने पीत रंग चुना जो मृत्यु का प्रतीक है ताकि यह ध्यान रहे कि जन्म की मंजिल मृत्यु है, जिससे अहंकार के लिए कोई अवसर ही न बचे।
प्रकृति के विभिन्न रंगों को चुनकर सभी धर्मों ने परमात्मा को याद किया और होली का रंग-बिरंगा त्यौहार उसी परम की याद को स्मरण करवाता है। सभी रंगों में सभी को रंगकर सारे भेदभाव को मिटा देती है होली।
"प्रकृति को देख परमात्मा की याद आए
एक बाग में जिसने रंगबिरंगे फूल खिलाए।"
राजनीति इन रंगों में भेद को उभारने लगती है और धर्म सारे भेद गिरा देना चाहता है।
इसी भेद को गिराने वाली जीवन पद्धति का नाम हिंदू है- विवेकानंद ।
'शिष्य-गुरु संवाद' से डॉ सर्वजीत दुबे
रंगो के त्योहार होली की शुभकामना🙏🌹