🙏गणेश चतुर्थी की शुभकामना🙏


"नए संसद भवन में मंगलकार्य हों"


संसद के नए भवन से 'हम भारत के लोग' अपनी नई आशाओं को पूरा होते देखना चाहते हैं। किंतु नई आशाओं की पूर्ति हेतु बड़े मूल्यों के लिए समर्पित वैसे विद्वान् और विनम्र संविधान सभा के सदस्यों को कहां से लाएंगे जिन्होंने अहर्निश डिबेट-डिस्कशन के द्वारा एक ऐसा संविधान दिया जो आज भी आशाओं का एकमात्र केंद्र बना हुआ है। हर विषय पर संविधान सभा के सदस्यों का गहरा अध्ययन, दूसरे के विचारों को सुनकर अपने प्रश्नों द्वारा उसको निखारने की प्रवृत्ति और अंत में सहमति बनाकर विधान बनाने का गुण अचानक हम कहां से लाएंगे?


थोड़ी कल्पना करें कि आज जिस प्रकार से संसद में गतिरोध होता है, बिना डिबेट-डिस्कशन के जिस प्रकार से कई बिल पास कर दिए जाते हैं और एक दूसरे के प्रति जो अविश्वास का माहौल है, यही हाल संविधान निर्माण के समय होता तो क्या हमारा संविधान तैयार हो पाता?


संसद का नया भवन तो जल्दी से खड़ा हो गया किंतु नए विचार से ओतप्रोत सादगीपूर्ण और समर्पित सांसद इतनी जल्दी कहां से लाएं? धनबल और बाहुबल से संसद पहुंचने वालों से बुद्धिबल और चरित्रबल की अपेक्षाएं कैसे पालें? अपने आलोचकों और विरोधियों को सुनने के लिए वह श्रवणशीलता और सहनशीलता कहां से पाएं?


फिर भी पुराने संसद भवन से दिए गए प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष का अंतिम भाषण एक आशा जगाता है क्योंकि एक ओर माननीय प्रधानमंत्री जी ने पूर्व कांग्रेसीप्रधानमंत्रियों के अमूल्य योगदान को याद किया तो दूसरी तरफ माननीय नेता प्रतिपक्ष ने वाजपेयी जी के अटल इरादों को सराहा।


हम भारत के लोगों का दिल ऐसा है कि जिसमें एक तरफ नेहरू जी बसते हैं तो दूसरी तरफ वाजपेयी जी। कभी हमारी शिकायत नेहरू जी से भी रहती है तो कभी वाजपेयी जी से भी। लेकिन राष्ट्र के प्रति दोनों की नेहपूर्ण-अटल निष्ठा से कभी कोई शिकायत नहीं। इसलिए जब किसी भी विचारधारा से जुड़े महापुरुषों के नीयत पर सवाल उठाया जाता है तो हमें अच्छा नहीं लगता।


अतः गणेश चतुर्थी पर लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर यानी नए संसद भवन का शुभारंभ हम भारत के लोगों के लिए शुभ हो,यही मनोकामना है।गणेश जी विवेक के देवता हैं जिनकी दृष्टि सूक्ष्म किंतु कान बहुत बड़ा है, ऐसे विघ्नहर्ता और मंगलकारी देव के गुण हमारे सांसदों में भी आ जाएं तो लोक कल्याणकारी राज्य का सपना पूरा हो सकता है-


"नए भवन में नए विचारों के साथ नया एहसास जगाएं


दूर भी हो दिमाग पर दिल को तो एक दूसरे के पास लाएं।"


'शिष्य-गुरु संवाद' से प्रो.सर्वजीत दुबे🙏🌹