🙏विजयादशमी की शुभकामनाएं🙏
"शांति के साथ शक्ति-उपासना से विजयादशमी"
शक्ति उपासना की नवरात्रियों के बाद विजयादशमी आती है। शक्ति के अहंकार में चूर रावण तभी मारा जाता है जब राम शक्ति की देवी की आराधना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर लेते हैं। पश्चिम के विचारक लॉर्ड एक्टन का कहना है कि शक्ति भ्रष्ट कर देती है। आज इसके प्रमाण बहुत मिल जाते हैं। सत्ताधीशों के भ्रष्टाचार और उनके अहंकार के कारण होने वाले विनाशकारी युद्धों से शक्ति शब्द की नकारात्मक छवि बन गई है। लेकिन भारतीय संस्कृति में शक्ति की आराधना की जाती है और वह भी नवरात्रियों तक। शांतभाव से जब साधक विश्व कल्याण के लिए शक्ति की देवी की उपासना करता है तो वह शक्ति सृजनशील बन जाती है-
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
भारतीय संस्कृति की अवधारणा यह है कि शांति के मूलाधार पर खड़ी हुई शक्ति सृजनशील होती है। किंतु 'शांति तुल्यं तपो नास्ति'अर्थात् शांति के समान दूसरा तप नहीं है।
भाव है कि शक्ति अपने आप में तटस्थ है जो विनाशशील भी हो सकती है और सृजनशील भी। विज्ञान ने हमें बहुत बड़ी शक्ति दी लेकिन एटम बम से हिरोशिमा,नागासाकी में जो विनाश किया गया,आज भी वह हमास-इजरायल युद्ध में या रूस-यूक्रेन युद्ध में जारी है। जिस एक मकान को बनाने में लोगों को बरसों लग जाते हैं,उन बस्तियों को खंडहर बनाने में लम्हे भी नहीं लगते। शक्ति का प्रदर्शन जान बचाने वाले अस्पताल पर और मासूम बच्चों पर रॉकेट गिराकर किया जा रहा है जो बताता है कि आज भी असुर समाप्त नहीं हो गए हैं।
सर्वत्र प्रकृति के विनाश के दृश्य को देखकर यही निष्कर्ष निकलता है कि महिषासुर,रावण आज अनेक रूपों में चारों तरफ व्याप्त हो गए हैं जिनके विनाश के लिए शक्ति की विशेष जरूरत है। दैवीय शक्तियों की सतत उपासना से साधक अपनी शक्तियों को बढ़ा भी सकता है और उनका सृजनशील उपयोग भी कर सकता है।
वैज्ञानिकों ने हमें अद्भुत शक्तियां दीं जिसने मानव जीवन को आमूलचूल रूप से परिवर्तित कर दिया। वैज्ञानिक आविष्कारों से मानव जीवन सुख-सुविधा से पूर्ण हो गया लेकिन राजनीतिज्ञों ने वैज्ञानिक प्रतिभा को राष्ट्रवाद के नाम पर विनाशकारी हथियारों के निर्माण में लगा दिया। इसका परिणाम हम देख रहे हैं कि एक तरफ हथियारों की बिक्री से कुछ देश करोड़ों डॉलर कमा रहे हैं तो दूसरी तरफ उन हथियारों के दुरुपयोग से कई लोग मारे जा रहे हैं।
विजयादशमी यह संदेश देता है कि राम जैसे व्यक्तियों के हाथ में आकर शक्ति सृजनशील बन जाती है और रावण जैसे व्यक्तियों के हाथ में पड़कर विनाशकारी। राम रावण का यह संघर्ष हर व्यक्ति के अंदर चल रहा है लेकिन जब तक शक्ति की देवी की शांतभाव से आराधना नहीं की जाती है तब तक व्यक्ति की दैवीय शक्तियां विजयी नहीं होंगी।
'शिष्य-गुरु संवाद' से प्रो.सर्वजीत दुबे 🙏🌹