🙏विश्वकप विजय की शुभकामना🙏


"वर्ल्डकप जीत का संदेश"


जर्जर शिक्षा-व्यवस्था और पेपर लीक वाली परीक्षा- व्यवस्था से हताशा में चल रहे देश को और खासकर युवा पीढ़ी को वर्ल्ड कप की जीत ने एक आशा और उत्साह से भर दिया है। क्रिकेट ने मेरे जीवन के 10 वर्ष लिए और मुझे खेल की दुनिया से हारकर पढ़ाई की दुनिया में उतरना पड़ा,लेकिन खेल ने जो सिखाया वह 10 जन्मों में भी सीखना मुश्किल है। उस सीख को एक शिक्षक होने के नाते सारे विद्यार्थियों तक पहुंचाना चाहता हूं कि एक सपना टूटे तो तुम टूट मत जाना।फिर से कुछ दिनों के बाद नए सपने गढ़ना और फिर से उस नये सपने को पूरा करने में जुट जाना।


क्रिकेट के भगवान तेंदुलकर को उनके प्रोफेसर पिता स्वाभाविकरूपेण प्रोफेसर बनाना चाहते होंगे किंतु सचिन को बॉलर बनने की चाह थी लेकिन समय ने उन्हें ऐसा बल्लेबाज बनाया कि पीढ़ियां भारतरत्न पर गर्व करती रहेंगी।


आज 30 जून 2024 का रविवार है जब भारतीय क्रिकेट टीम के विश्व विजेता होने पर पूरा देश जश्न में डूबा हुआ है, इसी क्षण में मुझे 19 नवंबर 2023 का रविवार याद आ रहा है जब पूरा देश जीत की आशा के भाव से इतना भर गया था कि फाइनल में हो रही पराजय को पचा नहीं पाया था और गहरे अवसाद में डूब गया था।


लेकिन खिलाड़ियों का जीवन ऐसा होता है कि कुछ दिनों के बाद ही ऑस्ट्रेलिया के हाथों अपनी सरजमीं पर अपने देशवासियों के बीच हुई इस पराजय को भूलकर वे आगे बढ़ना शुरू कर दिए। यदि वे उस हार से टूट गए होते तो क्या 6 महीने के अंतराल के बाद विश्वकप उठाने का सौभाग्य पाते।


सदा याद रखने योग्य बात यह है कि इसी वर्ल्ड कप में वह विश्वविजेता ऑस्ट्रेलिया टीम अफगानिस्तान जैसी नौसिखिया टीम से हार कर पहले ही बाहर हो गई। एकदिवसीय वर्ल्ड कप की हार और 6 महीने के अंतराल में 20-20 वर्ल्ड कप की जीत एक विराट संदेश है, जिसे आज की युवा पीढ़ी यदि नहीं समझ सकेगी तो अंधेरी रात के बाद निकलने वाले सूरज को नहीं देख सकेगी।


क्रिकेट जितना अनिश्चितताओं से भरा हुआ है,जीवन उससे भी ज्यादा अनिश्चितताओं से भरा हुआ है। शतक मारने वाला दूसरे दिन जीरो पर आउट हो जाता है और जीरो समझा जाने वाला हीरो बनकर उभर जाता है अन्यथा तालिबान के विध्वंस को झेल रहा अफगानिस्तान क्रिकेट टीम दिग्गजों को हराकर सेमीफाइनल तक पहुंचने की कहानी का सृजन नहीं कर पाता।


17 सालों के बाद आईसीसी वर्ल्ड कप में भारत की यह जीत सीखा रही है कि एक दो सालों के हार और तनाव से टूटने की जरूरत नहीं है। हर हार से सीखते चलो और अपनी मंजिल की तरफ कदम दर कदम बढ़ते चलो। विश्व की दो महान हस्तियां सूर्य और चंद्र के लिए भी अवसान और उत्थान आते जाते रहते हैं, जिसे कालिदास ने कुछ यूं उल्लेख किया है-


'यात्येकतोअस्तशिखरं पतिरोषधीना


माविष्कृतोअरूणपुर:सर एकतोअर्क:'


प्रकृति का यही नियम है कि सुख के बाद दुख,दुख के बाद सुख; दिन के बाद रात, रात के बाद दिन आते रहते हैं। इन विपरीतताओं के बीच में भी जो अपने कर्म पथ पर अडिग रहेगा , उसी की कांटों से बिंधी हुई उंगलियां फूलों के सुखद स्पर्श को भी पाएगी।


इस वर्ल्ड कप फाइनल में भी कितने उतार चढ़ाव आए, उनको गौर से देखने पर जिंदगी समझ में आती है। सिर्फ जीत और हार को देखना अधूरा देखना है। पूरा देखने की कला तो यही है कि खिलाड़ी की तरह खेल के हर लम्हे का मजा लो। इस वर्ल्ड कप की जीत को पिछले वर्ल्ड कप के हार की पृष्ठभूमि में देखो तो पता चलेगा और विराट कोहली और रोहित शर्मा के द्वारा शिखर पर पहुंचने के बाद 20-20 क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की पृष्ठभूमि में भी देखो तो जीवन के एक और गहरे रहस्य का पता चलेगा-


'बहारों ने मेरा दामन फूलों से भर दिया


पर जिंदगी उदास रही खार के बगैर


ये इश्क़ भी है कितना अनोखा मुआमला


इकरार के बगैर न इनकार के बगैर।'


'शिष्य-गुरु संवाद' से प्रो.सर्वजीत दुबे🙏🌹