संवाद


'कार्यदबाव में मानसिक स्वास्थ्य'


'मानसिक स्वास्थ्य दिवस' 10 अक्टूबर 2024 के मद्देनजर कार्यदबाव में मानसिक स्वास्थ्य आज सबसे ज्वलंत मुद्दा बन चुका है।  EYकंपनी में काम कर रही 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट एना सेबेस्टियन पेराविल काम के बोझ के कारण अपनी जान गवां बैठी। एक तरफ काम के अभाव में बेरोजगार आत्महत्या कर रहे हैं तो दूसरी तरफ काम के बोझ तले प्रतिभाएं मारी जा रही हैं।


       यह कैसी दुनिया हमने बनाई कि अपनी प्रतिभा के बदौलत कारपोरेट जगत की चमकदार नौकरियां पाने वाले भी जान गंवाने वाली परिस्थिति और मन:स्थिति से गुजर रहे हैं। अपनी बेटी को इतना योग्य बनाने वाली मां अनीता अगस्टिन का मार्मिक पत्र पढ़ने के बाद मेरा कलेजा मुंह को आ गया और अपने संतति के भविष्य के बारे में सोचकर मेरा मन सिहर उठा।


         बचपन से जिस युवा पीढ़ी ने अपने खेलने,घूमने और किसी से मिलने के समय को त्यागकर अपनी प्रतिभा विकसित की और उसकी बदौलत जिस कारपोरेट जगत में स्थान बनाया, वह कॉरपोरेट जगत उस युवा को प्रेम करने, जीवन जीने और सामाजिक उत्तरदायित्व से वंचित करने की परिस्थितियां और मन:स्थितियां दे रहा है।


         एना की मां का दावा है कि मेरी बेटी को काम के बोझ के कारण अन्य कुछ कर्मचारियों की तरह त्यागपत्र न देने की चेतावनी दी गई और उसे सप्ताहांत में भी विश्राम नहीं मिला, उल्टे ऐसा काम दे दिया गया जिसके कारण उसे रात में भी जगना पड़ा। मेडिकल जांच करने पर कोई गड़बड़ी तो नहीं दिखी किंतु डॉक्टर ने बताया कि एना फिजिकली,मेंटली,और इमोशनली रूप से बहुत ज्यादा प्रेशर में है। इस प्रेशर में भी वह काम करती चली गई और अंततः इस टॉक्सिक वर्क कल्चर की बलिवेदी पर कुर्बान हो गई। उसके अंतिम संस्कार में कंपनी का कोई शरीक नहीं हुआ।


              मार्केट में मनी ही सब कुछ होता है-अपना सपना मनी मनी। किंतु जीवन से बड़ा कुछ नहीं हो सकता।हमारी संस्कृति ने अर्थ को पुरुषार्थ-चतुष्ट्य में स्थान दिया-धर्म अर्थ काम मोक्ष। किंतु धर्म के अनुकूल अर्थ और काम जो मुक्त कर सके, वही उपास्य है। महात्मा बुद्ध ने तो सम्यकत्व पर इतना जोर दिया कि सम्यक आजीविका और सम्यक कर्म के साथ समाधि में भी सम्यकत्व जरूरी बताया। वह संतुलन जीवन का आज खोता जा रहा है।


              बुद्ध का एक शिष्य हुआ श्रोण। बहुत सुंदर काया थी उसकी। राजकुमार श्रोण जब संन्यासी बना तो जब अन्य संन्यासी पथ पर चलते थे तो वह पगडंडी पर , जब अन्य संन्यासी दो समय भोजन करते थे तो वह एक समय, जब दूसरे खाट पर सोते थे तो वह कांटों पर सोता था। जीवन के हर क्षेत्र में उसने अति कर दी और उसकी सुंदर काया सूखकर कांटा हो गई। बुद्ध ने बुलाया और पूछा-श्रोण! तू वीणा बहुत अच्छा बजाता था। एक बात बता कि वीणा के तार ज्यादा ढीले हों तो क्या होगा? उसने कहा- वीणा से टंकार नहीं उठेगी। जब वीणा के तार बहुत कसे हों तो क्या होगा? श्रोण ने कहा-तार टूट जाएगा। तब बुद्ध ने पूछा फिर तू अति क्यूं कर रहा है?श्रोण को तो बात तुरंत समझ में आ गई क्योंकि


'अति रूपेण वै सीता चाति गर्वेण रावणः।


अतिदानाद् बलिर्बद्धो ह्यति सर्वत्र वर्जयेत्।।'


अर्थात् अत्यधिक सुन्दरता के कारण सीता का हरण हुआ,अत्यन्त घमण्ड होने के कारण रावण मारा गया।अत्यन्त दानी होने के कारण बलि बंध गए(छले गए),इसलिए अति सभी जगह वर्जित है।


                 इंफोसिस के को-फाउंडर श्री नारायण मूर्ति जी ने सप्ताह में 70 घंटे काम करने का युवाओं से आह्वान किया था। कार्य संस्कृति में सकारात्मक बदलाव होने चाहिए किंतु क्या यह बदलाव स्वयं के जीवन की कीमत पर और पारिवारिक-सामाजिक उत्तरदायित्व की कीमत पर की जानी जरूरी है? मुनाफे की अंधी दौड़ में कहीं कंपनियां मनुष्य को यंत्र बनाने की दिशा में तो आगे नहीं बढ़ रही। जापान और चीन जैसे देशों ने इस मशीनी कार्य संस्कृति के कारण अपनी अर्थव्यवस्था तो जरूर बढ़ा ली किंतु मानव की जीवन गरिमा को ठेस भी बहुत पहुंचाई। इन देशों के युवा शादी से परहेज करने लगे हैं और बुजुर्गों के लिए तो उनके पास समय ही नहीं है।


         यूरोप के कई देशों ने कानून बनाया कि ऑफिस समय के बाद कर्मचारी अपने बॉस का फोन उठाने के लिए बाध्य नहीं है। किंतु कानून से बचने के कई रास्ते निकल आते हैं क्योंकि जिन्हें अपनी नौकरी बचानी हैं,उन्हें बॉस के इशारे पर नाचना ही होगा।


आवश्यकता है एक समझ और संवेदनशीलता विकसित करने की। उत्पादकता का संबंध काम के घंटे से ज्यादा कार्यकुशलता और कार्यस्थल की परिस्थितियों से हैं। व्यक्ति और नियोक्ता दोनों को समझना होगा कि मानव जीवन के विविध आयाम हैं, उनके बीच संतुलन बिठाए बिना यह जीवन रूपी पुष्प नहीं खिल सकता। जो फूल खिले ही नहीं , क्या उसमें सुगंध आ सकती है??


'ये कश्मकश है जिंदगी की,कि कैसे बसर करें


ख्वाहिशें दफन करें या चादर बड़ी करें?'


'शिष्य-गुरु संवाद' से प्रो.सर्वजीत दुबे🙏🌹