🙏शुभ दीपावली🙏
संवाद
'तमसो मा ज्योतिर्गमय'
हे प्रभु! अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। दरअसल यह ज्ञानियों की साधना है,जिसे हम सिर्फ प्रार्थना समझ कर दोहराते रहे। आज ज्ञान के क्षेत्र में जितना अंधकार है, उतना अंधकार अन्यत्र ढूंढना मुश्किल है। विद्यालय हो, महाविद्यालय हो या विश्वविद्यालय हो ; सभी मानवीय चेतना का दीप जलाने में असफल साबित हुए। सरकारी शिक्षालयों की स्थिति तो यह हो गई है कि विद्या की आराधना और साधना के अतिरिक्त वहां और सब कुछ अच्छी प्रकार से हो रहा है।
प्रकाश का पर्व दीपोत्सव हम मनाते चले आ रहे हैं किंतु अंधकार जस का तस बना हुआ है। जरूर कुछ भूल हो रही है। हमने दीप जलाए किंतु बाहर कुछ देर जलकर वह दीप बुझ गया। इससे अंधकार और घना हो गया। 'विद्या ज्योति: परम्' का ध्येयवाक्य वाला कन्या महाविद्यालय,बांसवाड़ा के अधिकांश विद्यार्थियों की स्थिति यह है कि उन्हें शुद्ध पढ़ना नहीं आता और शुद्ध लिखना नहीं आता। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि सीखने की ललक ही उनमें दिखाई नहीं देती। न तो वे किताबें खरीदते हैं और न नियमित कक्षाओं में आते हैं और फिर भी परीक्षा देते हैं और पास हो जाते हैं। स्कूटी और स्कॉलरशिप का ध्यान सबको हैं किंतु सरस्वती की साधना का ध्यान किसी विरले के पास है।
जरूर कुछ शिक्षकों के दिल में यह विद्यारूपी ज्योति जल रही है, किंतु अन्य विद्यार्थियों के हृदय में भी यह विद्या रूपी ज्योति जला दें,इसका वातावरण नहीं मिलता। ऐसे में वे जिंदा होते हुए भी मरे हुए के समान जी रहे हैं और मन ही मन कह रहे हैं-
'जिंदा हूं पर कोई मुझमें मुद्दत से बेजान पड़ा है
सरस्वतीसाधकों को लक्ष्मी का अरमान बड़ा है।'
बाहर का दीप जलाने के लिए सब कुछ बाजार में मिल जाता है। दीया मिल जाता है,बाती मिल जाती है, तेल मिल जाता है, माचिस मिल जाता है और कुछ देर बाहर में उजाला भी हो जाता है किंतु फिर अंधेरा ही अंधेरा।
अंतरदीप जलाने के लिए बाहर में कुछ भी नहीं मिलता। संकल्प,साधना,समर्पण यह किस बाजार में मिलेगा? इसके लिए तो सिर्फ जले हुए दीप के पास स्वयं को ले जाना होता है। शिक्षक वह जला हुआ दीप है,जिसके पास बुझा हुआ दीप आ जाए तो जल जाए। सरकार और समाज का काम इतना ही था कि बुझे हुए दीप और जले हुए दीप के पास आने में कोई बाधा न पड़े किंतु आज स्थिति ऐसी नहीं रही क्योंकि
'जो बांटता फिरता था दुनिया को उजाले
उसके दामन में आज अंधेरे ही अंधेरे हैं।'
'शिष्य-गुरु संवाद' से प्रो.सर्वजीत दुबे🙏🌹