🙏शिक्षा में बदलाव🙏


संवाद


'आनंद केंद्रित,अध्ययन केंद्रित,आचार्य केंद्रित हो शिक्षा'


भारतीय दर्शन के अनुरूप शिक्षा में बदलाव आज की सबसे बड़ी जरूरत है।आधुनिक शिक्षा जगत ने डिग्रीधारी बेरोजगारों की ऐसी फौज खड़ा कर दिया है जिनमें न कोई योग्यता है और न कोई स्किल। अतः अनपढ़ लोगों में बेरोजगारी दर न्यूनतम है और पढ़े-लिखे लोगों में बेरोजगारी दर अधिकतम है। इस शिक्षा ने तनाव से इतना भर दिया है कि अवसाद और आत्महत्या की दर में बेतहाशा वृद्धि हुई है। ऐसी स्थिति में भारतीय प्राचीन शिक्षा प्रणाली के तीन तत्त्वों को आज अपनाए जाने की जरूरत है। प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली आनंद केंद्रित थी,अध्ययन केंद्रित थी और आचार्य केंद्रित थी।


१.'ज्ञानम् अनंतम् आनंदम्' प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली का उद्घोष था। इसका कारण था कि ज्ञान जीवन को बदलता था। आज सिर्फ सूचना मिलती है और जीवन में कोई परिवर्तन नहीं होता। अतः ज्ञान आज भार हो गया है-


अवशेन्द्रियचित्तानां हस्तिस्नानमिव क्रिया


दुर्भगाभरणप्रायो ज्ञानं भार: क्रियाम् बिना।'


२. प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली अध्ययन केंद्रित थी। गुरु और शिष्य दोनों का समय और ऊर्जा पढ़ने और पढ़ाने में ही जाता था। आज पढ़ने वाले और पढ़ाने वालों की मुलाकात चंद घंटे के लिए होती है। उसमें भी शिक्षक का ध्यान शैक्षिकेत्तर गतिविधियों में इतना उलझा दिया गया है कि वह विद्यार्थी पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाता। आज इस व्यवस्था को बदलना होगा अन्यथा हमारा शिक्षा जगत स्वाध्याय से दूर जा रहा है।


३. आचार्य केंद्रित होने के कारण प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली स्वायत्त भी थी और गुणवत्तायुक्त भी। आज सरकारें अपने हिसाब से पाठ्यक्रम में बहुत बड़ा परिवर्तन कर देती हैं। फिर सरकार बदलते ही पाठ्यक्रम में पुनः बदलाव हो जाता है। प्राचीन काल में आचार्य ही पाठ्यक्रम का निर्धारण करता था और उसमें सरकारों की कोई भूमिका नहीं होती थी। अभी ट्रंप प्रशासन द्वारा अमेरिका में हार्वर्ड विश्वविद्यालय को दिए जाने वाले फंड की कटौती की गई क्योंकि विश्वविद्यालय सरकार के अनुसार चलने को राजी न हुआ।हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने सरकार के विरुद्ध अपनी स्वायत्तता को बचाने के लिए लड़ने का फैसला किया। शिक्षा संस्थान विचारों की स्वतंत्रता के केंद्र होते हैं और उनके लिए समाज तथा राष्ट्र का कल्याण प्रमुख होता है ; किसी सरकार के विचारधारा का अनुगमन करना नहीं। आधुनिक शिक्षा व्यवस्था को भी जब तक आचार्य केंद्रित नहीं किया जाएगा तब तक भारत के लिए वैज्ञानिक सोच वाले नागरिक तैयार नहीं होंगे।


'शिष्य-गुरु संवाद' से प्रो.सर्वजीत दुबे🙏🌹