मन का निर्माण
June 10, 2025🙏सोनम के साथ उसी मात्रा में सिस्टर शिवानी को भी न्यूज़ में दिखाया जाए🙏
संवाद
'मन का निर्माण'
समाचार जानने के लिए टीवी या न्यूजपेपर खोलते ही मानसिक शांति भंग हो जाती है। आज तो रक्तचाप बहुत बढ़ गया और दुनिया अजब सी दिखने लगी।सोनम-राजा रघुवंशी की घटना ने तो घर में भी ऐसी हालत कर दी कि पति-पत्नी एक दूसरे को मजाकिया अंदाज में नहीं,पुलिसिया अंदाज में देखने लगे हैं।
एक पुलिस अधिकारी के घर में गया था तो उनकी पत्नी चाय बनाकर लाई और एक कप अपने पति को दी तो उन्होंने वह कप नहीं लेकर दूसरा कप उठाया। इसका कारण मुझे यह पता चला कि पुलिस अधिकारी ऐसे केस की जांच कर रहे थे जिसमें पत्नी ने चाय में जहर मिलाकर पति की हत्या कर दी थी। परिवेश का अविश्वास पति-पत्नी के बीच में भी कब प्रवेश कर जाता है,पता नहीं चलता।
टीवी और न्यूज़पेपर से मेरा इतना ही आग्रह है कि दुष्कर्म भले ही ज्यादा हो रहे हों किंतु सुकर्म भी इस जगत में चल रहे हैं। दुष्कर्म की बात सब जगह पहुंचा दी जाती है और समाज में अविश्वास-नकारात्मकता बढ़ा दी जाती है तो ऐसे में जीवन कितना विषाक्त हो जाता है, जरा सोचिए। अतः आधे हिस्से में सुकर्म की भी बात दिखाई जाए जो डिग रहे अविश्वास को विश्वास में बदलेगा, नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदलेगा।
सोनम आज चर्चा में है तो ब्रह्म कुमारी संस्था की सिस्टर शिवानी की भी थोड़ी चर्चा की जाए। न मैं सोनम से मिला हूं ,न सिस्टर शिवानी से मिला हूं ; दोनों को ही सोशल मीडिया के माध्यम से जाना। अभी तक जो बातें सोशल मीडिया में आई है,उसके अनुसार सोनम का मन 'कुमन' बन चुका था जिसके कारण उसने अपने सुहाग की हत्या पूर्व संबंधों के चलते करा दी।
बरसों से सिस्टर शिवानी का मन साधना से 'सुमन' बनकर अपनी सुगंध से परिवेश को सुवासित कर रहा है और अनेकों जिंदगियों को बदल रहा है। वे कहती हैं कि 'तुम पवित्र और शक्तिशाली आत्मा हो' इस बात का ध्यान करो और इसके अनुसार जीवन आगे बढ़ाओ।
दूसरी तरफ सोनम जैसे का मन कहता है कि 'तुम शरीर हो और शरीर की वासना को किसी भी कीमत पर पूरा करो।'
यहां बात लड़के और लड़की का नहीं है। पहले लड़के द्वारा लड़की को ठिकाने लगा दिया जाता था जिसमें श्रद्धा के कई टुकड़े कर दिए जाते थे , अब लड़की द्वारा लड़के को ठिकाने लगा दिया जाता है जिसमें लड़के को मारकर ड्रम में पैक कर दिया जाता है। मूल बात मन के निर्माण का है।
'तन' प्रकृति की देन है और 'आत्मा' परमात्मा की देन है। किंतु 'मन' समाज और शिक्षा की देन है।प्रकृति और परमात्मा के मिलन से यह संसार बनता है। तन और आत्मा अपने आप में अस्तित्व का सर्वोत्तम उपहार है जिसे लेकर मानव जीवन में प्रवेश करता है। किंतु यह जीवन कहां जाएगा इसका निर्धारण 'मन' करता है। यदि मन का निर्माण 'कुमन' के रूप में हुआ तो सोनम का जन्म होगा ; किंतु यदि मन का निर्माण 'सुमन' के रूप में हुआ तो सिस्टर शिवानी का जन्म होगा।
हरिदेव जोशी राजकीय कन्या महाविद्यालय बांसवाड़ा में संस्कृत के आचार्य के रूप में मैं देख रहा हूं कि विद्यार्थी क्लास में नहीं आ रहे हैं और पढ़ाई के प्रति उनमें जिज्ञासा का अभाव इधर बहुत ज्यादा हो गया है। तो सबसे बड़ा सवाल एक शिक्षक के रूप में कई बरसों से दिन रात मेरे हृदय में उठ रहा है कि
१. विद्यार्थी क्लास में नहीं आ रहे हैं तो कहां जा रहे हैं?
२. पढ़ाई के प्रति उनकी जिज्ञासा नहीं है तो जिज्ञासा किसके प्रति है?
इस सवाल को मैं सब जगह पूछता हूं तथा समाज और सरकार से भी पूछता हूं तो ध्यान नहीं दिया जाता। ऐसे सवाल को दरकिनार करने के परिणामस्वरूप वागड़ का स्थानीय समाचार का पृष्ठ हो अथवा भारत का राष्ट्रीय समाचार का पृष्ठ हो ; दोनों ही जगह अवैध संबंधों से होने वाली हत्या प्रमुख बनती जा रही है।
प्रतिभाशाली शिक्षकों से सरकारी शिक्षालय भरे पड़े हैं किंतु क्या उनकी प्रतिभा का सदुपयोग हम पीढ़ियों के मन के निर्माण के लिए कर पा रहे हैं? इसका सही जवाब आंकड़ों से नहीं दिया जा सकता। इसका सही जवाब तो पढ़नेवाले और पढ़ानेवाले के बीच बढ़ती हुई दूरी को देखकर मिल जाता है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाना है। भारतीय ज्ञान परंपरा कहती हैं-
'मन एवं मनुष्याणाम् कारणं बंधमोक्षयो:'
अर्थात् मन बंधन का भी कारण बन सकता है और मुक्ति का भी।
मन सिर्फ तन की वासनाओं को पूरा करने में लग जाए तो सोनम की तरह बंधन में पड़ जाएगा। लेकिन यही मन यदि आत्मा की ओर उन्मुख हो जाए तो सिस्टर शिवानी की तरह मुक्ति के आकाश में उड़ेगा और कई आत्माओं को मुक्त होने की प्रेरणा देगा।
किंतु सिर्फ सोनम की ही खबर प्राइम टाइम में आएगा तो सिस्टर शिवानी को कैसे समाज जान पाएगा?
कई अच्छी बहुएं भी समाज में हैं जो दिन-रात अपने सेवा भाव से परिवार को आगे बढ़ा रही हैं ; सिर्फ सोनम की चर्चा से जीवन जीने के आधार हिल जाएंगे-
'आस्था के सारे आधार हिला दोगे,
तो जीवन को प्रेरणा कहां से दोगे ?'
'शिष्य-गुरु संवाद' से प्रो.सर्वजीत दुबे🙏🌹