आसमान की ओर बिना विमान के
June 13, 2025😭😭😭श्रद्धांजलि🙏🙏🙏
संवाद
'आसमान की ओर बिना विमान के'
संसार में आने का पता 9 महीने पहले चल जाता है किंतु संसार से जाने का पता 9 मिनट पहले भी नहीं चलता।पहलगाम घटना से क्रोधाग्नि भभक उठी थी क्योंकि कारण आतंकी थे, मेघालय घटना में हनीमून ट्रिप पर गए निर्दोष राजा की हत्या से हृदय हिल गया था और हत्यारिन दुल्हन सोनम को कोसने में सभी लगे थे किंतु अहमदाबाद की घटना में कोई ऐसा कारण नहीं दिख रहा जिससे भाव का रेचन हो सके।
यात्रियों से भरा विमान अनुभवी पायलट के रहते हुए उड़ते ही गिरने लगा और डॉक्टरों के मेस पर काल बनकर आ गिरा। विमान के यात्री जल गए जबकि मेस में खाना खाते हुए डॉक्टर विमान की चपेट में आने से मर गए। लेकिन इतने बड़े हादसे के बीच से एक यात्री बच गया।
विमान गिरना और सभी का मर जाना जितना रहस्यमय है, उतना ही रहस्यमय एक यात्री का बचना भी है। कुछ दुखों में व्यक्ति प्रतिक्रिया देने की स्थिति में होता है और कुछ दुखों में तो प्रतिक्रिया भी नहीं दे पाता। सिर्फ एक प्रश्न गूंजता रहता है कि आखिर यह जीवन क्या है?
पहलगाम घटना से शुरू हुआ तनाव मेघालय घटना के बाद बढ़ता गया किंतु आज अहमदाबाद की घटना के बाद न जाने कहां गायब हो गया! आसमान में उड़ने के लिए चले लोग मिट्टी में ऐसे मिले कि उनकी पहचान भी परिजनों के डीएनए टेस्ट से मिलान के बाद संभव है। डॉक्टर मेस में खाना खाते हुए लोग ऐसे गए कि जैसे दोपहर के खाने के बाद कुछ देर विश्राम के लिए जाते हैं।
अजीब सी मन:स्थिति है। न तनाव हो रहा है,न दुख हो रहा है ; सिर्फ आश्चर्य हो रहा है। बुद्ध अपने शिष्यों को मरघट पर भेजा करते थे ताकि जीवन के सत्य का ज्ञान हो सके। अब तो मरघट पर जाने की जरूरत नहीं है,टीवी खोलो या मोबाइल देखो जीवन के सत्य का साक्षात्कार हो जाता है।
जीवन तो एक रहस्य है ; जो कुछ देर पहले था ,अब नहीं है। वर्तमान में हम सब की सांसें चल रही हैं,कुछ देर के बाद जरूरी नहीं है कि चलेगी।
'जीवन एक हवा का झोंका दो क्षण का मेहमान है
अरे ठहरना कहां!यहां गिरवी हर एक मकान है।'
मृत्यु सबसे बड़ा सत्य है। कुछ लोगों को कारण बताकर ले जाती है,कुछ लोगों को कारण भी नहीं बताती। ओशो एक कहानी कहा करते थे कि एक राजा ने सपने में देखा- मृत्यु आकर बोली कि मैं आ रही हूं, ठीक जगह पर मिलना। राजा चिंतित हो उठा और अपने मंत्रियों से सलाह ली। फिर सबसे तेज भागने वाले घोड़े को लेकर राजधानी के बाहर निकल गया। शाम होने को थी,एक वृक्ष के नीचे रुका। तभी मृत्यु ने पीठ पर हाथ रखते हुए कहा कि मैं भी चिंतित थी कि तुम्हारी मृत्यु इस पेड़ के नीचे लिखी है जबकि यहां से सैंकड़ों किलोमीटर दूर तुम थे। अब तुम ठीक जगह पर और ठीक समय पर पहुंच गए हो।
इस दुनिया में हर व्यक्ति ठीक जगह पर और ठीक समय पर पहुंच जाता है। इसे भारतीय ज्ञान परंपरा ने 'नियतिवाद' कहा है जिसे वाल्मीकि रामायण में इन शब्दों में व्यक्त किया गया है-
'नियतिः कारणं लोके नियतिः कर्मसाधनम्।
नियतिस्सर्वभूतानां नियोगेष्विह कारणम्॥'
अर्थात् 'नियति (destiny) इस संसार में हर चीज का कारण तथा कर्म का साधन और साथ ही साथ जीवित प्राणियों को कार्य में नियुक्त करने का कारण हैं।' अहंकारवश हम अपने आप को कर्ता-धर्ता मान लेते हैं, जबकि हकीकत यह है कि
"लाई हयात आए, कजा ले चली चले
न अपनी खुशी से आए,न अपनी खुशी चले।'
मृतात्माओं को श्रद्धांजलि देने के अतिरिक्त हमलोगों के हाथ में और क्या है! परमात्मा से प्रार्थना है कि दिवंगतों को मुक्ति मिले और परिजनों को वियोग सहने की शक्ति!
ओम् शांति:शांति:शांति:🙏🙏🙏
'शिष्य-गुरु संवाद' से प्रो.सर्वजीत दुबे🙏🌹