🙏इंसानी-खबर से पशु की खबर में सुकून की तलाश 😀


संवाद


'ग्रीष्मावकाश ले गई भूरी'


पहलगाम घटना की छाया में ग्रीष्मावकाश शुरू हुआ था और विमान हादसों की साया में खत्म होने को है। तनाव देने वाले समाचारों के बीच सुकून देने वाले समाचार बहुत मुश्किल से नसीब में आते हैं। देश दुनिया की बुरी खबरों के बीच व्यक्तिगत रूप से एक अच्छी खबर यह रही कि भूरी ठीक हो गई। आश्चर्य होगा सुनकर कि भूरी मेरी गली की कुत्तिया का नाम है। यह ग्रीष्मावकाश उसी के नाम रहा।


          यह प्रेम-कहानी यों शुरू होती है कि बच्चों को पशुओं से स्वाभाविक लगाव हो जाता है। गली के कुत्तों से बच्चे  जुड़ते चले गए। पहले रोटी देना, फिर ब्रेड ला कर देना, फिर दूध देना। बच्चों की खुशी देखकर मैडम को भी इन नादान पशुओं को खुशी देने में खुशी होने लगी। कब वे घर के अंदर में प्रवेश करने लगे और कब हमारे दिलों में,कहा नहीं जा सकता।


            कोरोना के लॉकडाउन के काल में तो ऐसा हो गया कि इनके लिए ब्रेड की खोज में बच्चे पूरे शहर घूम आते थे। कोरोना के तनाव भरे समय में कुत्ते का सहारा हम बने या हमारा सहारा कुत्ते बने यह कहना मुश्किल है।


        बच्चे पढ़ने के लिए बाहर भी चले गए तो फोन पर मां-बाप के पहले कुत्ते का हालचाल पूछते हैं और जब यह लौट कर आते हैं तो कुत्ते पहले उनसे गले मिलते हैं, मां-बाप से गले मिलने का समय बाद में आता है।


               मैं उतना ज्यादा लिप्त नहीं होता जितना पशुप्रेम में मैडम और बच्चे लिप्त हैं। किंतु वे कुत्ते मेरे भी गोद में आकर बैठ जाते हैं और बाहर जाने के लिए निकलने पर शरीर पर चढ़कर प्यार जताने लगते हैं। इतने प्यार से भरे दिल को ठुकराना बहुत मुश्किल होता है किंतु कपड़े को कार्यस्थल पर जाने लायक बचाना भी जरूरी होता है।


           इनकी संख्या तीन से बढ़कर ग्यारह हो गई। सबके अलग-अलग नाम बच्चे और मैडम ने दे रखे हैं। इनमें से एक भूरी है। पिछले 5 सालों में पच्चीसों बच्चे उसने दे दिए। उनकी देखरेख और सार-संभाल करने में बहुत ज्यादा समय जाने लगा। बहुत मुश्किल से पिल्ले बड़े होते और फिर रोड पर चलने लगते। कोई टक्कर मार जाता तो हॉस्पिटल दौड़ना पड़ता और वे मर जाते तो आंसुओं में स्नान करना पड़ता। चूंकि वे घर के पास ही आकर बच्चों को जन्म देते थे तो मैडम से छोड़ा भी नहीं जाता था। अब मैडम को विचार आया कि इनकी नसबंदी करवा दी जाए।


            बच्चा जब चेन्नई से गर्मी की छुट्टियों में आया तो पशु चिकित्सालय में भूरी को हम ले गये। वहां के सारे डॉक्टरों से अच्छी दोस्ती हो गई है।वे बड़े सेवाभावी सज्जन लोग हैं। सोच कर गया था कि एक-दो घंटे में फ्री हो जाऊंगा किंतु 5 घंटे लगे। डॉक्टरों ने उसका uterus  घंटे भर ऑपरेशन करके निकाला। इसके बाद का समय तो और भी ध्यान से देखभाल का समय था। समय पर दवा देना, मलहम लगाना,उसको हेड कॉलर पहना कर रखना,अन्य कुत्तों से अलग रखना इतना काम बढ़ गया कि पता ही नहीं चला कि ग्रीष्मावकाश का समय  कब निकल गया। बांसवाड़ा के बाहर किसी भी परिजन से मिलने नहीं जा सके , यहां तक कि बांसवाड़ा में भी भूरी को छोड़कर कहीं नहीं जा सके।   


           भूरी आज पूरी तरह अच्छी हो गई,उसके टांके कट गए और अन्य कुत्तों के बीच में वह जाने लायक हो गई। अलग रूम में सारी सुविधाएं देने के बावजूद वह उतनी कभी प्रसन्न नहीं दिखी ,जितनी अपने सगे संबंधियों के बीच में जाकर। तब मुझे पता चला कि सिर्फ मनुष्य ही सामाजिक प्राणी नहीं होता है बल्कि हर जीव सामाजिक प्राणी होता है।


              इस पशु प्रेम में 'क्या खोया और क्या पाया' विषय पर जब विचार करता हूं तो इस निष्कर्ष पर पहुंचता हूं कि क्षुद्र खोया, विराट पाया। पैसा,पल,परिश्रम व्यक्ति खोता है किंतु प्रेम,दया,करुणा पाता है।बच्चे बहुत शरारती और उद्दंड होते हैं किंतु पशुओं के प्रति वे इतने प्रेम से भर जाते हैं कि घंटों उनके पीछे लगे रहते हैं, उनकी हर प्रकार की सेवा करते हैं, घंटों पशु चिकित्सालय में उनके इलाज के लिए प्रेम से प्रतीक्षा करते हैं, यहां तक की अपने हिस्से की रोटी भी उनको खिला देने में संकोच नहीं करते। बाहर की दुनिया का सारा तनाव पशुओं के साथ रहने पर न जाने कहां गायब हो जाता है। उनमें से जब कोई भी मरता है तो बच्चे हर बार प्रतिज्ञा करते हैं कि इनसे प्यार करना ठीक नहीं किंतु हर बार प्रतिज्ञा टूट जाती है। बच्चे तो बाहर चले गए पर उनके पशु-प्रेम को मैडम इस प्रकार से निभा रही हैं जैसे ये उनके बच्चे हों।


            शहर में कुछ किशोरों ने डॉग रेस्क्यू टीम भी बना रखी है, पशु के प्रति उनकी तत्परता और प्रतिबद्धता को देखकर मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि नैतिक शिक्षा की पुस्तकों के द्वारा जो जीवन-मूल्य बच्चों के जीवन में नहीं आ पाए वे मूल्य किसी पशु से प्रेम करते ही अद्भुत और अपार रूप में आते हैं।


'शिष्य-गुरु संवाद' से प्रो.सर्वजीत दुबे🙏🌹