विकसित भारत का सपना और विश्वगुरु बनने का सपना तभी साकार होगा जब 'ज्ञानम् अनंतम् आनंदम्' की ऋषिवाणी को शिक्षा संस्थानों में सफलीभूत बनाने के लिए गुरु शिष्य के घनिष्ठ संबंध को वास्तविकता में परिवर्तित करने के लिए समाज और सरकार अपना पूर्ण सहयोग देंगे। और जब शिक्षा-संस्थान स्वायत होंगे तथा अध्ययन केंद्रित होंगे। क्योंकि गुरु से बेहतर शिष्य के मन को समझने वाला और परिवर्तन के लिए बेहतर योजना बनाने वाला दूसरा कोई नहीं हो सकता। प्राकृतिक वातावरण में आध्यात्मिक गुरु के संपर्क में आकर दिन रात ज्ञान की आराधना करने वाले जिज्ञासु शिष्यों ने नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय जैसे शिक्षा केंद्रों को जन्म दिया था,जहां विश्व की सारी प्रतिभाएं आकर्षित होकर चली आती थीं और यहां से ज्ञान प्राप्त कर विश्वभर में भारत की कीर्ति प्रचारित-प्रसारित करती थी। यहां से शिक्षा-दीक्षा प्राप्त किया हुआ ज्ञान की कामना वाला ब्राह्मण, शक्ति की कामना वाला क्षत्रिय और धन की कामना वाला वैश्य अपने-अपने ज्ञान,शक्ति और धन से सर्वभूतों के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते थे। ज्ञानप्रधान समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के कारण उस समय विश्व की कुल जीडीपी में भारत का योगदान सर्वाधिक था।
July 21, 2025विकसित भारत का सपना और विश्वगुरु बनने का सपना तभी साकार होगा जब 'ज्ञानम् अनंतम् आनंदम्' की ऋषिवाणी को शिक्षा संस्थानों में सफलीभूत बनाने के लिए गुरु शिष्य के घनिष्ठ संबंध को वास्तविकता में परिवर्तित करने के लिए समाज और सरकार अपना पूर्ण सहयोग देंगे। और जब शिक्षा-संस्थान स्वायत होंगे तथा अध्ययन केंद्रित होंगे। क्योंकि गुरु से बेहतर शिष्य के मन को समझने वाला और परिवर्तन के लिए बेहतर योजना बनाने वाला दूसरा कोई नहीं हो सकता। प्राकृतिक वातावरण में आध्यात्मिक गुरु के संपर्क में आकर दिन रात ज्ञान की आराधना करने वाले जिज्ञासु शिष्यों ने नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय जैसे शिक्षा केंद्रों को जन्म दिया था,जहां विश्व की सारी प्रतिभाएं आकर्षित होकर चली आती थीं और यहां से ज्ञान प्राप्त कर विश्वभर में भारत की कीर्ति प्रचारित-प्रसारित करती थी। यहां से शिक्षा-दीक्षा प्राप्त किया हुआ ज्ञान की कामना वाला ब्राह्मण, शक्ति की कामना वाला क्षत्रिय और धन की कामना वाला वैश्य अपने-अपने ज्ञान,शक्ति और धन से सर्वभूतों के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते थे। ज्ञानप्रधान समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के कारण उस समय विश्व की कुल जीडीपी में भारत का योगदान सर्वाधिक था।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सफलता भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने में है और हम शिक्षकों की सार्थकता आध्यात्मिक और वैज्ञानिक मन के निर्माण में अपना सर्वस्व समर्पित करने में है। अतः मेरा सुझाव है कि
१. उच्च शिक्षा संस्थान के सबसे बड़े पद पर किसी शिक्षाविद् को लगाया जाए और शैक्षिक दृष्टिकोण से शिक्षा जगत चलाया जाए।
२.गैर शैक्षिक कार्य से शिक्षकों को पूरी तरह मुक्त किया जाए और गुरुकुल प्रणाली की ओर कदम बढ़ाया जाए।
३. सेमेस्टर परीक्षा प्रणाली पर पुनर्विचार किया जाए और भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए अनुकूल शैक्षिक परिवेश का निर्माण किया जाए।
'शिष्य-गुरु संवाद' से प्रो.सर्वजीत दुबे🙏🌹