🙏सद्भावना दिवस पर एक विचार 🙏


संवाद


'सद्भावना से संसार सौंदर्यपूर्ण'


20 अगस्त को देश 'सद्भावना दिवस' के रूप में मनाता है‌। निर्मम तरीके से आतंकी वारदात में अपनी जान गंवानेवाले पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी का जन्मदिवस हमें भारतीय संस्कृति के एक अद्भुत शब्द 'सद्भावना' की याद दिलाता है।


             भारत दो शब्दों 'भा' और 'रत' से बना है; 'भा' का अर्थ है ज्ञान , 'रत' का अर्थ है तल्लीन। ज्ञान में तल्लीन होकर भारतीय ऋषियों ने इस परम सत्य को जाना  कि चेतना सर्वव्यापी है। सिर्फ मानव में ही नहीं बल्कि जीव-जंतुओं में,पशु-पंछियों में यहां तक की पेड़-पौधों में भी वही चेतना विद्यमान है।


           महावीर ने 600 ईसवी पूर्व में यह कहा था कि पाषाण और इंसान में इतना ही अंतर है कि पाषाण में चेतना न्यूनतम अंश में और इंसान में अधिकतम अंश में है। इसका मतलब है कि जड़ और चेतन में केवल डिग्री का अंतर है, चैतन्य का नहीं। 'जल ही जीवन है' जैसा महत्वपूर्ण वाक्य का मूलस्रोत महावीर का षड्जीव-निकाय है।


              सुप्रीम कोर्ट द्वारा आवारा कुत्तों के संबंध में 11 अगस्त को दिए गए फैसले पर देश दो भागों में बंट चुका है। एक पक्ष मानता है कि कुत्तों को अलग शेल्टर हाउस में रखने के फैसले से सड़क सुरक्षित होगा जबकि दूसरा पक्ष मानता है कि कुत्ता और मानव का संबंध बहुत दोस्ताना है उन्हें अलग करना अमानवीय है। कानूनी दृष्टि से सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानव के पक्ष में है किंतु कुछ पशुप्रेमी मानव इस फैसले के विरोध में उतर आए हैं। सुप्रीम कोर्ट भी इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए तैयार हो गया है। यही खूबी है जो भारत को विश्व के अन्य देशों से अलग करती है।


               भारत सिर्फ एक भौगोलिक आकृति मात्र नहीं है बल्कि सद्भावना की सबसे बड़ी जीवंत मूर्ति है। परंपरा में हम सुनते आए हैं कि राजा शिवि ने अपने गोद में आए हुए कबूतर को बचाने के लिए बाज को कबूतर के वजन के बराबर का मांस अपने शरीर से काटकर दे दिया। धर्मराज युधिष्ठिर के साथ स्वर्ग में सिर्फ कुत्ता पहुंचा।


इसलिए भारतीय संस्कृति सिर्फ मानव-केंद्रित दृष्टि नहीं रखती बल्कि सर्वभूत-केंद्रित दृष्टि रखती है-'आत्मवत् सर्वभूतेषु य: पश्यति स पंडित:'। " इसका अर्थ है सभी प्राणियों में जो स्वयं की आत्मा को देखता है,वही पंडित है। इसी कारण 'सर्वे भवंतु सुखिन:' का सद्भावना मंत्र भारतीय संस्कृति से निकला।


               सद्भावना के कारण ही श्रीमती सोनिया गांधी जी ने अपने पति की हत्यारिन को और श्री राहुल गांधी व श्रीमती प्रियंका गांधी ने अपने पिता के हत्यारिन को माफ कर दिया। सद्भावना की यात्रा की शुरुआत यहां से होती है कि दूसरे को क्षमा कर दो इसलिए नहीं कि वे क्षमा के योग्य है बल्कि इसलिए कि तुम शांति के योग्य हो।


          क्षमा,शांति,त्याग, तपस्या जैसे सद्भावना के मूल्य  आज सिर्फ किताबों में रह गए हैं,जीवन में वे कहीं दिखाई नहीं देते। किंतु देखने वाली आंखें हो तो यह देख सकेगी कि भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने एक वोट के कारण अपनी सरकार खो दी किंतु अपने मूल्य के साथ समझौता नहीं किया। महान उद्योगपति रतन टाटा जी ने पशुओं के प्रेम के कारण एक विशेष अस्पताल बनवा दिया।


सद्भावना के कारण ही मानव सभी जीवों में सबसे महत्वपूर्ण जीव है और यह जगत सौंदर्य से पूर्ण है।


'शिष्य-गुरु संवाद' से प्रो.सर्वजीत दुबे🙏🌹