फोटो डिलीट हो या जिंदगी
September 4, 2025🙏मोहग्रस्त होने पर फोटो डिलीट होने पर भी लगता है कि जिंदगी डिलीट हो गई🙏
संवाद
'फोटो डिलीट हो या जिंदगी'
कन्या महाविद्यालय में वाचनालय का उद्घाटन कार्यक्रम था। पुस्तकालय प्रभारी होने के नाते कार्यक्रम को सफल बनाना मेरी व्यक्तिगत जिम्मेवारी विशेष रूप से थी। क्लास में विद्यार्थियों की न्यूनतम उपस्थिति से और घनघोर बारिश का मौसम होने से कार्यक्रम करा पाना संभव नहीं दिख रहा था। लेकिन परस्पर सहयोग और सामंजस्य से छात्राएं इतनी संख्या में पहुंच गईं कि अतिरिक्त कुर्सियों की व्यवस्था करनी पड़ी। सभी शिक्षकों की उपस्थिति से वाचनालय भव्य और दिव्य लगने लगा। 275000 रुपए की राशि वाचनालय के लिए कन्या महाविद्यालय को मिली थी, अतः कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग और फोटोग्राफी की व्यवस्था विशेष रूप से मेरे द्वारा की गई थी ताकि अच्छी रिपोर्ट भेजी जा सके।
कार्यक्रम शानदार रहा किंतु मेरे मोबाइल का स्टोरेज फुल हो गया। इसके कारण आधा व्याख्यान रिकार्ड नहीं हो सका। शिक्षक साथी ने अपने मोबाइल से इस कमी को पूरा किया और अपने मोबाइल से रिकॉर्ड करके मुझे सेंड कर दिया।
जब कार्यक्रम की रिपोर्ट बनाकर फोटो भेजने के लिए मोबाइल देखा तो सब डिलीट हो गया था। कार्यक्रम के प्रमाणस्वरूप अब मेरे पास न फोटो था और न रिकॉर्डिंग। मोबाइल भी मेरा काम नहीं कर रहा था। कार्यक्रम की रिपोर्ट भेजने के लिए सहारा ढूंढना पड़ा। दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद सफल कार्यक्रम का फोटो और रिकॉर्डिंग डिलीट होने से भारी अफसोस होने लगा। कभी मोबाइल को कोसता तो कभी अपने को कोसता।
तनाव बढ़ता जा रहा था। क्योंकि फोटो और रिकॉर्डिंग का मोह मेरी चेतना को जकड़ता जा रहा था। अचानक एक विचार आया कि फोटो और रिकॉर्डिंग के डिलीट होने से जब तुम इतना दुखी हो तो जब कोई अपना प्यारा इंसान जिंदगी से डिलीट होगा तो कितना दुखी होओगे। एक दिन तो यह जिंदगी तुम्हें भी डिलीट करेगी। वक्त वक्त की बात है। आज तुम्हारा फोटो डिलीट हुआ है,कल तुम्हारी जिंदगी डिलीट होगी।
' जीवन एक हवा का झोंका,दो क्षण का मेहमान है
अरे! ठहरना कहां?यहां गिरवी हरेक मकान है।'
फोटो डिलीट होने में और जिंदगी डिलीट होने में क्या अंतर है?जिंदगी से डिलीट होने में समय कितना लगता है! डिलीट होना नियति है। मोबाइल का फोटो जितना काल्पनिक था ,शंकराचार्य जी के वेदांत की नजर में जिंदगी भी उतना ही काल्पनिक है-जगत् मिथ्या। कुछ समय पहले नहीं थे ,कुछ समय के बाद नहीं हो जाएंगे।
अतः वर्तमान में क्षण भर के लिए जो होने का एहसास है,उसका आनंद मना लो। बुद्ध ने तो कहा था कि सब कुछ क्षणिक है।
अब मेरा फोटो-रिकॉर्डिंग डिलीट होने का दुख एक सत्य के अनुभव में तब्दील हो रहा था। डिलीट का एहसास इतने बड़े सत्य तक ले जाएगा, मैंने सोचा न था-
'तंतु प्रेरित गात्र हो तुम , एक पुतले मात्र हो तुम
इस जगत की नाटिका के क्षणिकभंगुर पात्र हो तुम।'
'शिष्य-गुरु संवाद' से प्रो.सर्वजीत दुबे🙏🌹