🙏जलते हुए नेपाल का सबक यही है कि युवाओं की आग को भड़काने तो आया किंतु उससे रोशनी प्राप्त करना नहीं आया🙏


संवाद


'युवाओं की आग में जलता नेपाल'


नेपाल के युवाओं की आग में संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सारे संस्थान जल रहे हैं। नेताओं को दौड़ा दौड़ा कर पीटा जा रहा है और उनके घरों में आग लगाई जा रही है। कोई भी देश जब युवा शक्ति को समझ नहीं पाता है तो युवाओं के भीतर की आग अपने ही चमन को जलाकर खाक कर देती है।


युवाओं के भीतर बैठी आग से रोशनी भी प्राप्त की जा सकती है। जब आग को बेतरतीब ढंग से भड़कने दिया जाता है तो वह जलाने का काम करती है लेकिन जब उसी आग को सम्यक ढंग से सुलगने दिया जाता है तो उससे रोशनी प्राप्त होती है।


'राजपथ पर जब कभी जयघोष होता है


आदमी फुटपाथ पर बेहोश होता है।'


किसी कवि का कहना है कि सिर्फ अपनी जय जयकार करवाने के लिए जब नेता युवाओं को गलत रास्ते पर ले जाता है तो एक समय के बाद जब उन्हें यह दिखाई पड़ने लगता है कि अपनी राजनीति चमकाने के लिए मुझे साधन बनाया गया है तो वही युवा उस नेता के प्रति असंतोष और वितृष्णा से भर जाता है। फिर वही होता है जो आज नेपाल में होता हुआ दिखाई दे रहा है-


'भीड़ भटके रास्तों पर दौड़ती है


जब सफर का रहनुमा खामोश होता है।'


जब किसी भी देश की शिक्षा-व्यवस्था व्यक्ति में सोचने समझने की शक्ति को जन्म नहीं दे पाती है तो व्यक्ति भेड़ बन जाता है। भेड़ बने हुए व्यक्ति को कोई भी भीड़ बनाकर अपने पीछे दौड़ाने लगता है। इसके मूल में कारण जीवन में रास्ता दिखाने वाले शिक्षकों का खामोश हो जाना है। शिक्षक जब आत्महीन और लाचार हो जाए तो युवा शक्ति दिशाहीन और बेकार हो जाती है-


'मंत्र जपते होंठ जब जलने लगे


ऋत्विजों के आचरण में दोष होता है।'


देश के मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक की जिम्मेवारी होती है कि एक ऐसा मंत्र युवाओं को दिया जाए जिससे उनकी शक्तियों का सृजनात्मक उपयोग देश हित में किया जा सके। किंतु जब मंत्र सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने के लिए और अपने स्वार्थ को साधने के लिए होता है तो खतरनाक होता है। जब युवा शक्ति का दुरुपयोग किया जाने लगता है और उन्हें 'यूज एंड थ्रो' की तरह इस्तेमाल किया जाने लगता है तो एक दिन युवा अपने आप को ठगा हुआ महसूस करता है। वह स्पष्ट देखने लगता है कि मंत्रियों और नेताओं के बेटे-बेटियां विदेशों में शानोशौकत का जीवन जी रहे हैं और हमें देश में मरने के लिए छोड़ दिया गया है। फिर तो असंतोष की आग में जलना ही देश की नियति बन जाती है।


युवाओं के जोश के आगे पुलिस और सेना भी नहीं टिक पा रही है। ऐसे में युवाओं के जोश को पूरे होश से भरा हुआ शख्स ही सम्यक दिशा दिखाकर जलते हुए देश के पुनर्निर्माण के लिए यज्ञ-कुंड बना सकता है। शिक्षा और शिक्षकों के अतिरिक्त उस यज्ञ-कुंड के निर्माण की शक्ति और सामर्थ्य दूसरे में ढूंढना मुश्किल है। युवाओं के प्रति नि:स्वार्थ प्रेम से भरे हुए शिक्षक ही नेपाल में चारों तरफ लग रही आग को रोशनी में तब्दील कर सकते हैं-


'आओ मिलकर हम उन्हें आवाज दें


साथ जिनके जोश के खूब होश होता है।'


शिक्षा होश को जगाती है। होश को जगाने वाली शिक्षा को जब कभी भी कोई देश नजरअंदाज कर देता है तो प्रकृति प्रदत्त युवा-जोश दिशाहीन होकर विकृति को प्राप्त कर लेता है। उस विकृति की आग में देश चल रहा है। उस विकृति को संस्कृति में परिवर्तित करने की कला का नाम ही शिक्षा है।


'शिष्य-गुरु संवाद' से प्रो.सर्वजीत दुबे🙏🌹