वैज्ञानिकता व आध्यात्मिकता के प्रतिनिधि कलाम
October 15, 2025🙏कलाम साहब का जन्म दिवस बढ़ती अवैज्ञानिकता और अधार्मिकता के जमाने में विशेष मायने रखता है। उनको श्रद्धासहित नमन 🙏
संवाद
'वैज्ञानिकता व आध्यात्मिकता के प्रतिनिधि कलाम'
अब्दुल का अर्थ होता है- 'सेवक' और कलाम का अर्थ होता है- 'वचन'। भारत माता के सच्चे सेवक अब्दुल कलाम साहब के प्रामाणिक व्यक्तित्व से निकले सीधे-सादे वचनों को जब भी सुनता हूं ,वे मेरे दिलो-दिमाग में बहुत समय तक गूंजते रहते हैं। भारत आज धर्म के नाम पर अंधविश्वास की ओर बढ़ चला है और राजनीति सेवा करने के नाम पर अंधविश्वास की आग में घी डालने का काम कर रही है।
ऐसे में वैज्ञानिक होने के साथ सच्चे धार्मिक व्यक्ति का जन्मदिवस हमें अंधेरों से उजालों की ओर ले जा सकता है।'तमसो मा ज्योतिर्गमय' की प्रार्थना हमारी संस्कृति में जो की गई है,वह भारत रत्न कलाम साहब जैसे व्यक्तित्व की राहों पर चलने से ही पूरी हो सकती है।
यूएनओ ने उनके जन्मदिवस (15 अक्टूबर) को 'विश्व विद्यार्थी दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया। आज के विद्यार्थी जीवन में जो अवसाद और आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं,उनको रोकने में उनकी जीवनी बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है। उनके जीवन में बहुत बड़े अंधेरे पल आए किंतु आध्यात्मिक शक्तियों के सहयोग से वे उजालों की ओर बढ़ चले। पहला अंधेरा पल उनके जीवन में आया जब वे देहरादून में हुए एयर फोर्स के साक्षात्कार में 25 विद्यार्थियों में से नवें नंबर पर थे जबकि आठ विद्यार्थियों का ही चयन होना था। आकाश में उड़ान भरने की उनकी सबसे बड़ी ख्वाहिश धूल-धूसरित हो गई थी और इस गहरी निराशा के क्षणों में स्वामी शिवानंद के संपर्क ने उनमें एक नई आशा जगा दी। दूसरा अंधेरा पल उनके जीवन में 1979 में एसएलवी 3 के असफल लॉन्च के समय आया जब बरसों की मेहनत बंगाल की खाड़ी में जा गिरी। उस समय उनके मेंटर्स और सीनियर्स ने उनको इस असफलता से सफलता की ओर बढ़ने की शक्ति दी।
'जब निगाहों में सिमट जाते अंधेरे
जिंदगी बिखरे समय के खा थपेड़े
कौन धुंधलाई हुई परछाइयों में
जिंदगी के कण तमाम समेट लेता।
जो जमाने से विभाजित हो न पाई
रह गई अवशेष वह जीवन इकाई
कौन फिर संजोग बन तन्हाइयों में
जिंदगी को नित नए आयाम देता।।'
अब्दुल कलाम साहब के जीवन से प्रेरणा लेकर आज के विद्यार्थियों को अपने जीवन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण लाना होगा और किसी आध्यात्मिक आत्मा से संपर्क साधना होगा। तब विद्यार्थी जो 'FAIL' होकर निराशा में डूब जाते हैं वे फेल का मतलब "first attempt in learning' के भाव के जगते ही आशा की ओर कदम बढ़ा देंगे।
मिसाइल मैन,जनता का राष्ट्रपति जैसे अनेक उपनामों से पुकारे गए कलाम साहब के लिए मंदिर और मस्जिद में कोई विशेष अंतर नहीं था,उनके एक हाथ में गीता तो दूसरे हाथ में कुरान सदा रहता था। उनका मानना था कि
'नफरत जो सिखाए वो धरम तेरा नहीं है
इंसान को जो रौंदे वो कदम तेरा नहीं है
कुरान न हो जिसमें वो मंदिर नहीं तेरा
गीता न हो जिसमें वो हरम तेरा नहीं है।'
आज हिंदू मुसलमान के नाम पर जो विभाजन की खाई को चौड़ा किया जा रहा है और घृणा को फैलाया जा रहा है, उस विभाजन की खाई को पाटने की शक्ति और घृणा को प्रेम में बदलने की शक्ति कलाम साहब के जीवन से मिल सकती है। उनके पिताजी के परम मित्र हिंदू पंडित थे जो आपस में मिलकर रूहानी चर्चाएं किया करते थे;और उनके हिंदू शिक्षकों श्री अय्यर,श्री साराभाई,श्री सतीश धवन और श्री ब्रह्म प्रकाश जी ने उन्हें आकाश की ओर उड़ने की प्रेरणा दी। धर्म,जाति,क्षेत्र की संकीर्णताओं को न मानने के कारण उनका समग्र जीवन कीचड़ में कमल की भांति खिला रहा। भारत ने कलाम साहब को स्वामी विवेकानंद के शब्दों में 'हिंदू माइंड इन इस्लामिक बॉडी' के रूप में देखा है। उनकी वैज्ञानिक प्रतिभा ने और आध्यात्मिक आस्था ने भारत की जैसी अनमोल सेवा की है और उनके वचनों ने भारत की प्रतिभाओं को जितनी आशा से भरा है; वैसी सेवा करने वाले और उतनी आशा से भरने वाले व्यक्तित्व विरले होते हैं ।
'शिष्य-गुरु संवाद' से प्रो.सर्वजीत दुबे🙏🌹